भारत में बने मोबाइल फोन हो सकते हैं महंगे, लेकिन...
आम बजट 2017-18 का ऐलान हो गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सीधे तौर पर अप्रत्यक्ष करों की दर में तो कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन कुछ बदलाव ऐसे भी किए जिसका असर मोबाइल फोन के दाम पर पड़े।
दरअसल, सरकार ने मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाले पॉपुलेटेड प्रिंटेड सर्किट बोर्ड के कस्टम पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त स्पेशल एडिशनल ड्यूटी लगाने का फैसला किया है। पहले यह दर शून्य थी। इसके बाद ये सर्किट बोर्ड पहले की तुलना में थोड़े महंगे हो जाएंगे।
(बजट 2017: भीम ऐप, आईआरसीटीसी सर्विस टैक्स, और भी बहुत कुछ)
अगर इस बदलाव की बारीकियों में जाएं तो पता चलता है कि जो फोन भारत में बनते हैं उनकी कीमत में इजाफा संभव है। हाल के दिनों में देश में 72 मोबाइल निर्माता कंपनियों ने काम शुरू किया है। इनमें से 40 कंपनियां मोबाइल निर्माण का काम करती हैं और 32 कंपनियां चिप बनाने के बिजनेस से जुड़ी हैं।
वैसे, एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में पिछले साल चीनी स्मार्टफोन विनिर्माता कंपनियों ने कुल बाजार की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया है। सरकार के इस फैसले का असर इन ब्रांड के मोबाइल फोन की कीमत पर शायद ही पड़े। क्योंकि ये कंपनियां मोबाइल दूसरे देश में बनाती हैं और उन्हें आयात करके भारत में बेचती हैं।
दूसरी तरफ, मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत भी कई मोबाइल कंपनियां भारत में ही मोबाइल बनाने का काम करती हैं। लेकिन अभी मोबाइल इंडस्ट्री की ओर से यह साफ नहीं किया गया है कि सरकार के इस फैसले का क्या असर पड़ेगा।
दरअसल, सरकार ने मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाले पॉपुलेटेड प्रिंटेड सर्किट बोर्ड के कस्टम पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त स्पेशल एडिशनल ड्यूटी लगाने का फैसला किया है। पहले यह दर शून्य थी। इसके बाद ये सर्किट बोर्ड पहले की तुलना में थोड़े महंगे हो जाएंगे।
(बजट 2017: भीम ऐप, आईआरसीटीसी सर्विस टैक्स, और भी बहुत कुछ)
अगर इस बदलाव की बारीकियों में जाएं तो पता चलता है कि जो फोन भारत में बनते हैं उनकी कीमत में इजाफा संभव है। हाल के दिनों में देश में 72 मोबाइल निर्माता कंपनियों ने काम शुरू किया है। इनमें से 40 कंपनियां मोबाइल निर्माण का काम करती हैं और 32 कंपनियां चिप बनाने के बिजनेस से जुड़ी हैं।
वैसे, एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में पिछले साल चीनी स्मार्टफोन विनिर्माता कंपनियों ने कुल बाजार की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया है। सरकार के इस फैसले का असर इन ब्रांड के मोबाइल फोन की कीमत पर शायद ही पड़े। क्योंकि ये कंपनियां मोबाइल दूसरे देश में बनाती हैं और उन्हें आयात करके भारत में बेचती हैं।
दूसरी तरफ, मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत भी कई मोबाइल कंपनियां भारत में ही मोबाइल बनाने का काम करती हैं। लेकिन अभी मोबाइल इंडस्ट्री की ओर से यह साफ नहीं किया गया है कि सरकार के इस फैसले का क्या असर पड़ेगा।
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